जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य
महान् व्यक्तियों के द्वारा लिखित आत्मकथाएँ प्रेरणा की स्रोत होती हैं। ये पाठकों का मार्गदर्शन करती हैं। इनमें लेखक अपने जीवन की विभिन्न परिस्थितियों और दशाओं का वर्णन करते हैं। वे अपने जीवन पर पड़े विभिन्न प्रभावों का उल्लेख भी करते हैं। मैं महापंडित राहुल सांकृत्यायन के द्वारा रचित आत्मकथा ‘मेरी जीवन यात्रा’ पढ़ना चाहूँगा। इसे पढ़ने से देश-विदेश में घूमने और स्थान-स्थान के ज्ञान को प्राप्त करने की प्रेरणा मिलेगी। विभिन्न क्षेत्रों के जीवन और रीति-रिवाजों को समझने की क्षमता मिलेगी। मैं हरिवंश राय बच्चन की ‘क्या भूंलूं क्या याद करुं’ और ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ पढ़ना चाहूँगा। इनसे एक महान् लेखक और कवि के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलेगा।
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(ख) जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
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