सूरदास - पद
अनुप्रास-
• नाहिन मन अनुरागी
• पुरइनि पात रहत
• ज्यौं जल।
उपमा- • गुर चाँटी ज्यौं पागी।
रूपक- • अपरस रहत सनेह तगा तैं
• प्रीति- नदी मैं पार्ट न बोरयौ।
उदाहरण- • ज्यौं जल माई तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
दृष्टात- • पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
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