सूरदास - पद

Question

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
       ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।

पद में किन अलंकारों का प्रयोग किया गया है?

Answer

अनुप्रास-
• नाहिन मन अनुरागी
• पुरइनि पात रहत
• ज्यौं जल।
उपमा- • गुर चाँटी ज्यौं पागी।
रूपक- • अपरस रहत सनेह तगा तैं
• प्रीति- नदी मैं पार्ट न बोरयौ।
उदाहरण- • ज्यौं जल माई तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
दृष्टात- • पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।

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