गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
गोपियां श्रीकृष्ण से अपार प्रेम करती थीं। उन्हें लगता था कि श्रीकृष्ण के बिना वे रह ही नहीं सकती थीं। जब श्रीकृष्ण ने उद्धव के द्वारा उन्हें योग-साधना का उपदेश भिजवा दिया था तब गोपियों का विरही मन इसे सहन नहीं कर पाया था और उन्होंने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए थे।
यदि हमें गोपियों की जगह तर्क देने होते तो हम उद्धव से पूछते कि श्रीकृष्ण ने उनसे प्रेम करके फिर उन्हें योग की शिक्षा देने का कपट क्यों किया? उन्होंने मधुरा में रहने वाली कुब्जा आदि को निर्गुण ब्रह्म का संदेश क्यों नहीं दिया? प्रेम सदा दो पक्षों में होता है। यदि गोपियों ने प्रेम की पीड़ा झेली थी तो श्रीकृष्ण ने उस पीड़ा का अनुभव क्यों नहीं किया? यदि पीड़ा का अनुभव किया था तो वे स्वयं ही योग-साधना क्यों नहीं करने लगे थे? यदि गोपियों के भाग्य में वियोग की पीड़ा लिखी थी तो श्रीकृष्ण ने उन के भाग्य को बदलने के लिए उद्धव को वहाँ क्यों भेजा? किसी का भाग्य बदलने का अधिकार तो किसी के पास नहीं है। यदि श्रीकृष्ण ने गोपियों को योग-साधना का संदेश भिजवाया था तो अन्य सभी ब्रजवासियों, यशोदा माता, नंद बाबा आदि को भी वैसा ही संदेश क्यों नहीं भिजवाया? वे सब भी तो श्रीकृष्ण से प्रेम करते थे।