सूरदास - पद
गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम भरा मन चाह कर भी कहीं और टिकता नहीं। वे तो पूरी तरह से अपने प्रियतम की रूप माधुरी पर आसक्त थीं, उन के प्रेम में पगी हुई थीं। जिस प्रकार चींटी गुड पर आसक्त हो कर उस पर चिपट जाती है और फिर छूट नहीं पाती। वह वहीं अपने प्राण दे देती है। गोपियां भी श्रीकृष्ण के प्रति इसी प्रकार प्रेम-भाव में डूबी रहना चाहती थीं और कभी भी उस से दूर नहीं होना चाहती थीं।
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