सूरदास - पद
सूरदास ने दृष्टांतों से उद्धव को अनासक्त और श्रीकृष्ण के प्रति भक्तिभाव से सर्वथा मुक्त माना है। जिस प्रकार कमल का पत्ता सदा जल में रहता है पर फिर भी उस पर जल की एक बूंद भी नहीं ठहर पाती उसी प्रकार उद्धव श्रीकृष्ण के निकट रह कर भी उन के प्रति भक्ति भावों से रहित था। तेल की किसी मटकी को जल के भीतर डुबोने पर उस पर जल की एक बूंद भी नहीं ठहरती, उसी प्रकार उद्धव के हृदय पर श्री कृष्ण की भक्ति थोड़ा-सा भी प्रभाव नहीं डाल सकी थी।
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