सूरदास - पद
सूरदास के भ्रमरगीतों की भाषा ब्रज-भाषा है। उन्होंने अत्यंत मार्मिक शब्दावली का प्रयोग किया है। उनकी भाषा में लालित्य है। उन्होंने व्यंग्य-प्रधान शब्दों का सहजता और सुंदरता से प्रयोग किया है। उनकी उलाहने भरी भाषा और चुभते हुए शब्द बहुत अनुकूल प्रभाव उत्पन्न करते हैं। उनकी भाषा में व्यंजना शक्ति और प्रभाव- क्षमता के साथ माधुर्य और प्रसाद गुणों की अधिकता है। उनका शब्द चयन सुंदर और भावानुकूल है।
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