सूरदास - पद

Question

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये 
हमारैं हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।
सु तौ व्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करो।
यह तो ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपो, जिन के मन चकरी।।

गोपियाँ कृष्ण को ‘हारिल की लकड़ी’ क्यों कहती हैं?

Answer

गोपियों ने कृष्ण को हारिल पक्षी के समान माना था। हारिल पक्षी सदा अपने पंजों में कोई-न-कोई लकड़ी का टुकड़ा या तिनका पकड़े रहता है और गोपियों के हृदय में भी सदा श्रीकृष्ण बसते थे।

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