सूरदास - पद

Question

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
         मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।

पद से छाँट कर पाँच तद्‌भव और उनके तत्सम रूप लिखिए।

Answer

तद्‌भव  -  तत्सम
अधार  -  आधार
आस  -   आशा
बिथा  -   व्यथा
बिरह  -   विरह
जोग  -    योग
मरजादा - मर्यादा

Sponsor Area

Some More Questions From सूरदास - पद Chapter

गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

गोपियों ने अपने वाक्‌चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्‌चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?

गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।

उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्‌चातुर्य में मुखरित हो उठी?

गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

‘भ्रमरगीत’ से आप का क्या तात्यर्य है?

सूरदास के ‘भ्रमरगीत’ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

भ्रमरगीतों में प्रयुक्त सूरदास की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।

भ्रमरगीतों के आधार पर गोपियों की विशेषताएँ लिखिए।