निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये: मन की मन ही माँझ रही। कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही। अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही। अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही। चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही। ‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।
पद से छाँट कर पाँच तद्भव और उनके तत्सम रूप लिखिए।