बच्चे काम पर जा रहे हैं
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
किसी भी देश की उन्नति उसके युवा वर्ग की उन्नति से ही जुडी होती हैं। बच्चे भी हमारे देश का भविष्य हैं और देश की प्रगति में उनका अहम् हिस्सा हैं। यदि बच्चे पढ़ लिख नही पाते और उन्हें वो अवसर नही मिल पाते जिनके वो हक़दार हैं। तो निस्चय ही उस देश का भविष्य अन्धकार में होगा। उसकी आने वाली पीढ़ी भी पिछड़ी होगी, उन्हें उनके बचपन से वंचित रखना अपने आप में घोर अपराध तथा अमानवीय कर्म है। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।
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कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि 'काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?' कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
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