बच्चे काम पर जा रहे हैं
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
मैंने अपने शहर में बच्चों को निम्नलिखित जगहों पर कम करते देखा हैं:-
1. चाय की दुकानों, होटलों, ढाबों में बर्तनों को साफ़ करते हुए ।
2. रास्ते पर लगे हुए ठेलों पर, घरों में काम करते घरेलू नौकरों के रूप में।
3. छोटे निजी कार्यालयों में ऐसे अनेकों स्थानों पर, हर मौसम और रातों को देर तक काम करते हुए देखा है।
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कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि 'काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?' कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
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