साँवले सपनों की याद
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
'साँवले सपनों की याद' नामक पाठ की भाषा-शैली संबन्धी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. अपने मनोभावों को प्रस्तुत करने लेखक ने अभिव्यक्ति शैली का प्रयोग किया है।
2. लेखक ने इस पाठ में मिश्रित शब्दावली का प्रयोग किया है। इस पाठ में उर्दू, तद्भव और संस्कृत शब्दों का सम्मिश्रण है।
3. जाबिर हुसैन अलंकारों की भाषा में लिखते हैं। उपमा, रूपक, उनके प्रिय अलंकार हैं।
4. इनकी शैली चित्रात्मक है। पाठ पढ़ते हुए इसकी घटनाओं का चित्र उभर कर हमारे सामने आता है।
5. कलात्मकता उनके हर वाक्य में है। वे सरल-सीधे वाक्यों का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि जटिल वाक्यों का प्रयोग करते है।
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लॉरेंस की पत्नी फ्रीदा ने ऐसा क्यों कहा होगा की 'मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?'
आशय स्पष्ट कीजिए-
वो लारेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
आशय स्पष्ट कीजिए-
कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा !
आशय स्पष्ट कीजिए-
सलीम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
इस पाठ में लेखक ने सलीम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
'साँवले सपनों की याद' शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिये।
प्रस्तुत पाठ सलीम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
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