इस जल प्रलय में
अपनी देखी -सुनी आपदा का वर्णन कीजिए।
छात्र स्वयं प्रयत्न करे जैसे:-
जुलाई 2005 पूरा मुंबई शहर बाढ़ में डूब गया था। पूरा का पूरा शहर जल में डूब चूका था । करीब एक बजे के आस-पास वर्षा ने अपना जो प्रलयंकारी रूप धरा वह करीब हफ्ते भर जारी रहा।लोग दफ्तरों दुकानों और काम के स्थानों में फँसे के फँसे रह गए । नन्हें बच्चे विद्यालय में बिना बिजली के पूरी रात काटने के लिए मजबूर हो गए। इस त्रासदी में न जाने कितनी जानें गई और देश की इस आर्थिक राजधानी को कितना आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
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आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए ।
'ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए...अब बूझो!' - इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी?
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए?
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कुंद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया?
'अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं—मेरे पास।' - मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?
आपने भी देखा होगा कि मिडिया द्वारा प्रस्तुत की गयी घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती है, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
अपनी देखी -सुनी आपदा का वर्णन कीजिए।
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