इस जल प्रलय में
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?
बाढ़ की खबर से सारे शहर में आतंक मचा हुआ था। बाढ़ की ख़बर सुनकर लोग अपनी सुरक्षा के प्रबंध और अत्यावश्यक सामानों को जुटाने में लग गए। लोग अपने सामान को नीचली मंजिल से ऊपरी मंजिल में ले जा रहे थे। सारे दुकानदार अपना सामान रिक्शा, टमटम, ट्रक और टेम्पो पर लादकर उसे सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे थें। खरीद-बिक्री बंद हो चुकी थी। लोगो ने अपने आवश्यक ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कम्पोज की गोलियाँ इकट्ठा करना शुरू कर दिया ताकि बाढ़ से घिर जाने पर कुछ दिनों तक गुजारा चल सके। और उन्हें इन सब का अभाव न झेलना पड़े।
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बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?
सबकी जबान पर यही जिज्ञासा - 'पानी कहाँ तक आ गया है ?' इस कथन से जन समूह की कौन - सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए ।
'ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए...अब बूझो!' - इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी?
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए?
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कुंद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया?
'अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं—मेरे पास।' - मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?
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