कल्लू कुम्हार की उनाकोटी - के. विक्रम सिंह
कैलाशशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को यह जानकारी दी कि आलू की बुआई के लिए आमतौर पर पारंपरिक आलू के बीजों की जरूरत दो मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर पड़ती है। इसके बरक्स टी.पी.एस. की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा दो हैक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है। त्रिपुरा की टी.पी.एस. का निर्यात अब न सिर्फ असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को बल्कि बांग्लादेश, मलेशिया और वियतनाम को भी किया जा रहा है।
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त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?
त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?
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