कल्लू कुम्हार की उनाकोटी - के. विक्रम सिंह
पहाड़ों को अंदर से काटकर यहाँ विशाल आधार मूर्तियाँ बनी हैं। एक विशाल चट्टान ऋषि भागीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा अवतरण की पौराणिकता को चित्रित करती है। गंगा अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धंसकर पाताल लोक में न चली जाए। शिव को इसके लिए तैयार किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और इसके बाद उसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ तो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। भारत में यह शिव की सबसे बड़ी आधार मूर्ति है। पूरे साल बहने वाली एक जल प्रपात पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा जितना ही पवित्र माना जाता है।
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त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए?
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