गिल्लू - महादेवी वर्मा
गिलहरी के जीवन की अवधि लगभग दो वर्ष होती है। जब गिल्लू का अंत समय आया तो उसने दिन रात कुछ नही खाया। वह घर से बाहर भी नही गया। वह अपने अंतिम समय में अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर निष्चेष्ट लेट गया उसके पंजे पूरी तरह ठंढे पड़ चुके थे। वह अपने ठंडे पंजो से लेखिका की उंगली पकड़कर उसके हाथ से चिपक गया। लेखिका ने हीटर जलाकर उसे गर्मी देने का प्रयास किया किंतु कोई लाभ न हुआ। प्रात: काल होने तक गिल्लू की मृत्यु हो चुकी थी।
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