नये इलाके में - अरुण कमल
कवि कहता है कि समय के बदलते स्वरूप के कारण पहचान के पैमाने ही बदल गए हैं। बनते-बिगड़ते स्वरूप के बीच जीवन तीव्र गति से बहता चला जा रहा है। समय बहुत गतिशील है। समय के अभाव के कारण ही मनुष्य संवेदन शून्य हो गया है। नित्य नए परिवर्तन हो रहे है। सभी नई परिस्थितियों में व्यस्त है। आकाश में बादल उमड़ते जा रहे हैं। ऐसे वातावरण में आशा की एक किरण अवश्य रहती है कि शायद कोई तुम्हें पहचानकर पुकार ले।
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(ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
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