नये इलाके में - अरुण कमल
कवि ने बताया है कि इस बनती-बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के सहारे जीना असंभव है। जीवन की गति परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन के जमाने में यादों के आधार पर जीवन बिताना बहुत कठिन होता है। आज मनुष्य को कई बार धोखा खाना पड़ता है। क्योंकि यह दुनिया तो एक ही दिन में बदल जाती है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं होता। आज बसंत है तो कल पतझड़। समय की गतिशीलता के साथ-साथ दुनिया भी गतिशील हो गई है।
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(ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
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