सवैये
भाव स्पष्ट कीजिए-
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उपर्युक्त पंक्तियों का भाव यह है कि कृष्ण की मुस्कान इतनी मोहक है कि गोपी से वह झेली नहीं जाती है अर्थात् कृष्ण की मुस्कान पर गोपी इस तरह मोहित हो जाती है कि लोक लाज का भी भय उनके मन में नहीं रहता और गोपी कृष्ण की तरफ़ खींचती जाती है।
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ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिये।
आपके विचार से कवि पशु, पक्षी, पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
भाव स्पष्ट कीजिए-
कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
भाव स्पष्ट कीजिए-
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
'कालिंदी कूल कदम्ब की डारन' में कौन-सा अलंकार है?
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिये -
या मुरली मुरलीधर की अधरन धरी अधरा न धरौंगी।
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