सवैये
कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
कवि कृष्ण से जुडी हर वस्तु से अपार प्रेम करता है। जिस वन बाग, और तालाब में कृष्ण ने अपनी नाना प्रकार की क्रीड़ाएँ की है उन्हें कवि निरंतर निहारना चाहते हैं क्योंकि इससे उन्हें सुख की दिव्य अनुभूति होती है। यह सुख ऐसा है की जिस पर संसार के समस्त सुखों को न्योछावर किया जा सकता है। उनके दर्शन मात्र से ही उनका ह्रदय प्रेम से भर जाता है।
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आपके विचार से कवि पशु, पक्षी, पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
भाव स्पष्ट कीजिए-
कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
भाव स्पष्ट कीजिए-
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
'कालिंदी कूल कदम्ब की डारन' में कौन-सा अलंकार है?
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिये -
या मुरली मुरलीधर की अधरन धरी अधरा न धरौंगी।
प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
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