एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
सुखिया महामारी की चपेट में आ गई। वह गंभीर रूप से बीमार रहने लगी। उसे अंदर-ही-अंदर यह अनुभव हो गया था कि उसकी मृत्यु नजदीक है। इसलिए वह मरते समय देवी की कृपा पाना चाहती थी। वह स्वयं तो देवी के मंदिर में जाने में असमर्थ थी। इसलिए उसके अपने पिता को देवी के प्रसाद का एक फूल लाने को कहा।
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(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।
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(iii) पुजारी से प्रसाद/ फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन: स्थिति।
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(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।
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