आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी
कवि कहता है कि कुछ आदमी शरीफ़ होते हैं तो कुछ कमीने किस्म के भी होते हैं। बादशाह से लेकर मंत्री तक सब मनमाने काम करने वाले लोग आदमी ही तो हैं, चाहे वह भले आदमी की भूमिका हो या दुष्ट प्रवृत्ति वाले की चाहे बादशाह की भूमिका हो, चाहे मंत्री की सबको करने वाला आदमी है। कुछ आदमी शिष्य होते हैं तो कुछ पीर-फकीर संत किस्म के होते हैं। अच्छे काम करके अच्छा कहलाने वाला भी आदमी ही है और बुरे काम करके बुरा कहलाने वाला भी आदमी है।
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कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?
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