आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी
भाव पक्ष -कवि आदमी के भिन्न-भिन्न रंग-रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं-कि इस दुनिया में तरह-तरह के आदमी हैं। जो लोगों का बादशाह बना बैठा है, वह भी आदमी है उसके पास दुनिया भर की दौलत और अधिकार है। दूसरी ओर जो बिल्कुल गरीब, भिखारी है वे भी आदमी हैं। जिसके पास बहुत दौलत है, वह भी आदमी है जो बिलकुल कमज़ोर है, वह भी आदमी है। जो स्वादिष्ट भोजन खा रहा है।, वह भी आदमी है और जिसे सूखी रोटी के टुकड़े चबाने को मिल रहे हैं, वह भी आदमी है।
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