आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी
प्रत्येक आदमी में विभिन्न प्रवृत्तियाँ होती हैं। आदमी स्वभाव से अच्छा भी है और बुरा भी है। वह दूसरों के दु:खों का कारण है तो वही उन दु:खों का निवारण करने वाला भी है। आदमी ही आदमी पर शासन करता है; आदेश देता है और मनचाहे ढंग से परेशान करता है। आदमी दीन-हीन है और आदमी संपन्न भी है। कोई कुर्बानी देने में विश्वास रखता है कोई दूसरों के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने को तत्पर रहता है तो कोई दूसरें की जान लेने में विश्वास रखता है।
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कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?
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