आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी
इस कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ मुझे अच्छी लगी हैं
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नजीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमीं’
यह पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी हैं क्योंकि इन पंक्तियों से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सद्गुणों को अपना कर अच्छा आदमी बनना है। हमें बुराईयों का त्याग कर देना चाहिए। बुराइयाँ व्यक्ति को बुरा आदमी बना जाती है। समाज में अच्छे आदमी का ही आदर होता है, बुरे का नहीं।
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