आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी
‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता को पढ़कर’ हमारे मन में मनुष्य के प्रति यही छवि बनती है कि संसार में अनेक प्रकार के अच्छे व बुरे दोनों तरह के कार्य करने वाले होते हैं। मनुष्य परिस्थितियों और भाग्य का दास होता है। उसकी परिस्थितियाँ ही उसे बादशाह बनाती हैं या फकीर बना देती हैं। मनुष्य शैतान भी है और फरिश्ते भी, धनी भी और निर्धन भी, अच्छे भी और बुरे भी; साधु भी और चोर भी, गुरू भी, शिष्य भी, कुर्बानी देने वाले भी और कुर्बानी लेने वाला मनुष्य भी इस संसार में है। मनुष्यों की इस विषमता के कारण ही संसार में पाप भी है और पुण्य भी। धर्म भी है और अधर्म भी।
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