आदमीनामा - नज़ीर अकबराबादी
(क) टुकड़े चबाना- कब तक तुम भाई के टुकड़े चबाते रहोगे, कुछ काम क्यों नहीं करते।
(ख) पगड़ी उतारना- भरी सभा में मंत्री जी ने सेठ हीरामल की कंजूसी का वर्णन करते हुए उनकी पगड़ी ही उतार दी।
(ग) मुरीद होना- इन दिनों क्रिकेट के दीवाने सचिन तेंदुलकर के मुरीद हो गए हैं।
(घ) जान वारना- देश की आज़ादी के लिए असंख्य वीरों ने अपनी जान वार दी।
(ड) तेग मारना- मोहन ने भागते हुए चोर को तेग मारकर घायल कर दिया।
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कवि ने कविता में ‘आदमी’ शब्द की पुनरावृत्ति किस उद्देश्य से की है?
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