कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
ज़मीन ठोस होने पर उस पर गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि के पद-चिह्न अंकित होते हैं। ये जानवर, कीचड़ की ठोस जमीन पर ही अपने पैरों के निशान अंकित करते हैं तब वह शोभा देखते ही बनती है। इस जमीन पर जब दो मदमस्त पाड़े लड़ते है तब उनके पद्चिह्न और सींगों के चिहन अनोखी शोभा उत्पन्न करते हैं। ये चिहन ऐसे प्रतीत होते है जैसे महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास लिख दिया गया हो। इसकी शोभा अलग सी प्रतीत होती है।
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