कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
(क) पाठ-कीचड़ का काव्य, लेखक-काका कालेलकर।
(ख) जब कीचड़ सूख जाती है तो उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़, बकरे आदि खूब चलते-फिरते तथा उठा-पटक करते हैं। भैसों के पाड़े तो सींग भिड़ाकर युद्ध करते हैं। तब सूखी कीचड़ पर जो निशान पड़ जाते है वे बहुत शोभाशाली प्रतीत होते है?
(ग) कीचड़ के सौन्दर्य का दर्शन निम्नलिखित स्थलों पर किए जा सकते हैं-
1. गंगा का किनारा 2. सिंधु का किनारा 3. खंभात में मही नदी के मुख पर
(घ) खंभात में मही नदी के मुख पर अथाह कीचड़ है। उस कीचड़ की गहराई इतनी अधिक है कि बड़े-बड़े हाथी ही नहीं, पूरे के पूरे पहाड़ उसमे समा सकते हैं।
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