वैज्ञानिक चेतना के वाहक चनद्रशेखर वेंकट रामन - धीरंजन मालवे
रामन् के प्रारम्भिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है क्योंकि उनकी परिस्थितियाँ बिलकुल विपरीत थीं। वे बहुत महत्त्वपूर्ण तथा व्यस्त नौकरी पर थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त हो गई थी। समय की कमी थी। स्वतन्त्र शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं थी। ले देकर कलकत्ता में एक छोटी सी प्रयोगशाला ही थी जिसमें बहुत कम उपकरण थे। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में शोध कार्य दृढ़ इच्छा शक्ति से ही संभव था। यह रामन् के मन का दृढ़ हठ था जिसके कारण वे शोध जारी रख सके। इसलिए उनके प्रारम्भिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग कहा है। यह हठयोग विज्ञान से संबंधित था इसलिए आधुनिक कहना उचित था।
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