तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
लेखक कै घर में जब मेहमान बिना सूचना दिए आ गया तो उसे लगा कि उसका बटुआ हल्का हो जाएगा। उसके हृदय में बेचैनी हो रही थी कि इस अतिथि का सत्कार कैसे किया जाएगा। ऐसे मेहमान जो बिना सूचना के आते है और मेहमानबाजी के बाद घर नहीं लौटना चाहते थे। मेजबान का हाथ अपने बटुए पर चला जाता है। मन कंपकंपाने लगता है। खर्चे बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। मनमाना व्यवहार अतिथि करता है। मन चाहता है कि जो आए वह शीघ्र ही वापिस लौट जाए। घर में गंभीरता छा जाती है। घर कार बजट गड़बड़ाने लगता है।
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