तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर डिनर के स्थान पर खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी वह नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था।
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