तुम कब आओगे अतिथि - शरद जोशी
(क) पाठ - तुम कब जाओगे,अतिथि, लेखक-शरद जोशी।
(ख) लेखक का अतिथि अनचाहे रूप से दो दिन ठहर चुका था। तीसरे दिन उसे चले जाना था परन्तु जाने की बजाय उसने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की। यह समाचार लेखक के दिल पर आघात की तरह था उसे आशा नहीं थी कि वह इस तरह आकर जम जाएगा।
(ग) लेखक को इस बात का अनुमान ही नहीं था कि यह अतिथि एक बार आने के बाद जाने का नाम नहीं लेगा। उसकी रहने की अवधि अचानक बढ़ती चली जाएगी।
(घ) भारतीय परम्परा के अनुसार अतिथि को देवता के समान माना जाता है। यदि अतिथि थोड़ी देर के लिए आए और सम्मानपूर्वक विदा हो जाए तो वह देवता होता है। परन्तु लंबे समय तक जम जाने के कारण वही देवता तुल्य अतिथि राक्षस प्रतीत होने लगता है।
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