एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पाल
जय लेखिका का पर्वतारोही साथी था। उसको भी लेखिका के साथ पर्वत-शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देरी हो गई थी। वह सामान ढ़ोने के कारण पीछे रह गया था। इसलिए बचेन्द्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने पहुँची। तब बर्फीली हवायें चल रहीं थीं और नीचे जाना खतरनाक था। लेखिका को जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृतज्ञतापूर्वक चाय बगैरह पी और लेखिका को आगे जाने से रोका। लेखिका कोकी से मिलना था। थोड़ा सा आगे नीचे उतरने पर लेखिका ने की को देखा। वह उसे देखकर हक्का-बक्का रह गया।
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