दुःख का अधिकार - यशपाल

Question

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए?

Answer

‘दुःख का अधिकार’ शीर्षक अत्यन्त सटीक है। सम्पूर्ण कथावस्तु दो वर्गो का प्रतिनिधित्व करती है पहला शोषित वर्ग है जिसके शोषण का समाज को अहसास नहीं है और दूसरा शोषक वर्ग, जिसका दुख लोगों के हृदय तक पहुंचता है और आँखों से आँसू बहने लगते हैं। गरीब के दुःख से लोग सर्वथा वंचित रहते है। उसके जीवन की कठिनाईयों को समझना नहीं चाहते। शोक या गम के लिए उसे सहूलियत नहीं देना चाहते दुखी होने को भी एक अधिकार मानते हैं। दुःख मनाने का अधिकार भी केवल संपन्न वर्ग को है। दुःख तो सभी को होता है, पर संपन्न वर्ग इस दुःख का दिखावा करता है, गरीब को कमाने खाने की चिन्ता दम नहीं लेने देती। अत: शीर्षक उपयुक्त ही है।

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Some More Questions From दुःख का अधिकार - यशपाल Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
(क) 
मुनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की सभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।



(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों मे) लिखिए:
लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाज़ा कैसे लगाया?