दोहे - रहीम
निम्नलिखित दोहों को पड़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये:
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।
कोई कितने भी प्रयत्न कर ले, परन्तु बिगड़ी बात कभी नहीं बनती। रहीम जी कहते हैं कि फटे हुए दूध को कितना भी मथा जाए, परन्तु उसमें से मक्खन नहीं निकाला जा सकता। इसलिए यह प्रयास करना चाहिए कि बात बिगड़ने न पाए। उसे तुरन्त सँवारने का प्रयास करना चाहिए, वरना दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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