दोहे - रहीम
रहीम जी कहते हैं। कि सरोवर या किचड़ वाला वह जल धन्य है जिसको पीकर लघु जीव भी अपनी प्यास बुझाते हैं। सागर कोई प्रशंसा नहीं करता क्योंकि संसार वहाँ जाकर भी प्यासा लौट आता है। बड़प्पन उसी का माना जाता है जिससे दूसरे का लाभ हो। मनुष्य के जीवन की सार्थकता दूसरों की भलाई के कारण ही है। यदि अधिक धनवान होने पर भी वह किसी का भला नहीं कर सकते तो उसका धनवान होना व्यर्थ है।
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