मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छीन गए? कारण बताएँ?
मासाई अफ्रीका के चरवाही समुदाय थे। वे मुख्यरूप से केन्या तथा तंज़ानिया में रहते थे।
(i) उन्नीसवीं सदी के अंत में यूरोप की साम्राज्यवादी ताकतों ने अफ्रिका में कब्जे के लिए मारकाट शुरु कर दी। बहुत सारे इलाकों को छोटे-छोटे उपनिवेशों में तब्दील कर अपने कब्जे में ले लिया।1885 में मासाईलैंड को ब्रिटिश कीनिया और जर्मन तांगान्यिका के बीच एक अंतरराष्ट्रीय सीमा खींचकर बराबर-बराबर हिस्सों में बाँट दिया गया। गोरों को बचाने के लिए बेहतरीन चरागाहों को अपने कब्जे में ले लिया।
(ii) मासाइयों को दक्षिण कीनिया और उत्तरी तंज़ानिया के छोटे से इलाके में समेट दिया गया। औपनिवेशिक शासन से पहले मासाइयों के पास जितनी ज़मीन थी उसका लगभग 60 फ़ीसदी हिस्सा उनसे छीन लिया गया। उन्हें ऐसे सूखे इलाकों में कैद कर दिया गया जहाँ न तो अच्छी बारिश होती थी और न ही हरे-भरे चरागाह थे। उन्नीसवीं सदी के अंतिम सालों में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार पूर्वी अफ़्रीका में भी स्थानीय किसानों को अपनी खेतो के क्षेत्रफल को ज़्यादा से ज़्यादा फैलाने के लिए प्रोत्साहित करने लगी।
(iii) जैसे -जैसे खेती का प्रसार हुआ वैसे-2 चरागाह खेतों में तब्दील होने लगे। बहुत सारे चरागाहों को शिकारगाह बना दिया गया। कीनिया में मासाई मारा व साम्बुरु नेशनल पार्क और तंज़ानिया में सेरेंगेटी पार्क जैसे शिकारगाह इसी तरह आस्तित्व में आए थे। इन आरक्षित जंगलों में चरवाहों का आना-मना था। इन इलाकों में न तो वे शिकार कर सकते थे और न अपने जानवरों को चरा सकते थे।



