किन परिस्थितियों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया?
1. बंगाल में नील उत्पादकों किसानों को ऋण दिया गया था किन्तु उन्हें अपनी कुल ज़मीन के कम से कम प्रतिशत भाग पर नील की खेती करनी थी।
2. रैयतों को उनकी फसल की जो कीमत मिलती थी वह बहुत काम होती थी।
3. बाग़ान मालिक केवल हल एवं बीज उपलब्ध कराते थे। फसल की कटाई तक के बाकी सभी काम रैयतों को करना पड़ता था।
4. बाग़ान मालिकों का हमेशा दवाब रहता था कि नील की खेती सर्वाधिक उर्वर भूमि भर की जाए।
5. नील की फसल ज़मीन की उर्वरता को कम कर देती थी। नील की फसल जिस खेत में उगाई जाती थी उसमें धान की खेती कर पाना संभव नहीं होता था।
इन परिस्थितियों के कारण ही बंगाल में किसान नील की खेती से कतराने लगे तथा नील के उत्पादन धराशायी हो गया।