भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता: प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मज़बूत किया है।
अरमान: भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
हरीश- इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अँगरेजी के प्रभुत्व को मज़बूत करने भर का काम किया है।
मेरी नज़र में संगीता का तर्क ठीक है। सभी भाषा को सामान आदर दिया गया जिससे हमारी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला। भारत की भाषा नीति के अंतर्गत सभी भाषाओं को सामान दृष्टि से देखा गया है। राज्य की दृष्टि में कोई भी भाषा निम्न कोटि की नहीं है। यह निसंदेह हमारी राष्ट्रीय एकता की मज़बूती की तरफ एक सरहानीय कदम है। यद्धपि हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी है परन्तु इसे गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों पर थोपा नहीं गया। अतः कोई भी इससे असंतुष्ट नहीं है। सरकार ने एक विशेष भाषा के भाषायी वर्चस्व से राज्य को बचाने के लिए एवं आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी के साथ अंग्रेजी का उपयोग ज़ारी रखने पर सहमति प्रकट की।