फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रिया विधि की तुलना कीजिए।
फुफ्फुस में कुपिकाएँ | वृक्क में वृक्काणु |
1. मानव शरीर में विद्यमान दोनों फेफड़ों में बहुत अधिक संख्या में कुपिकाएँ होती हैं। | 1. मानव शरीर में वृक्क संख्या में दो होते हैं। प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख वृक्काणु होते हैं। |
2. प्रत्येक कूपिका प्याले के आकार जैसी होती है। | 2. पत्येक वृक्काणु महीन धागे की आकृति जैसा होता है। |
3. कूपिका दोहरी दीवार से निर्मित होती है। | 3. वृक्काणु के एक सिरे पर प्याले के आकार की मैल्पीघीयन सम्पुट विद्यमान होती है। |
4. कूपिका की दोनों दीवारों के बीच रुधिर कोशिकाओं का सघन जान बिछा रहता है। | 4. बोमैन सम्पुट में रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ उपस्थित होता है जिसे कोशिका गुच्छ कहते हैं। |
5. कुपिकाएँ वायु भरने पर फैल जाती हैं। | 5. वृक्काणु में ऐसी क्रिया नहीं होती। |
6. यहाँ रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन प्राप्त क्र लेती है तथा प्लाज्मा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड कूपिका में चली जाती है। | 6. कोशिका गुच्छ में रुधिर में उपस्थित वर्ज्य पदार्थ छन जाते हैं। |
7. कूपिकाओं में गैसीय आदान-प्रदान के बाद फेफड़े के संकुचन से कूपिकाओं में भरी वायु शरीर के बाहर निकल जाती है। | 7. मूत्र निवाहिका से सूत्र बहकर मूत्राशय में इकट्ठा हो जाता है और वहाँ से मूत्रमार्ग द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है। |