चरखे को राष्ट्रवाद का प्रतीक क्यों चुना गया?
चरखे को राष्ट्रवाद का प्रतीक इसलिए चुना गया क्योंकि यह जन सामान्य से संबंधित था और स्वदेशी व आर्थिक प्रगति का प्रतीक था। गाँधीजी जी स्वयं प्रतिदिन अपना कुछ समय चरखा चलाने में व्यतीत किया करते थे। वे अन्य सहयोगियों को भी चरखा चलाने के लिए प्रोत्साहित करते थे। गाँधीजी का मानना था कि आधुनिक युग में मशीनों ने मानव को गुलाम बनाकर श्रम को हटा दिया हैं। इससे गरीबों का रोज़गार उनसे छिन्न गया हैं। गाँधीजी का विश्वास था कि चरखा मानव-श्रम के लिए गौरव को फिर से जीवित करेगा ओर जनता को स्वावलम्बी बनाएगा। वस्तुत: चरखा स्वदेशी तथा राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया। पारंपरिक भारतीय समाज में सूत कातने के काम को अच्छा नहीं समझा जाता था। गाँधीजी द्वारा सूत कातने के काम ने मानसिक श्रम एवं शारीरिक श्रम की खाई को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।