प्रमुख भारतीय व्यापारियों ने औपनिवेशिक शहरों में खुद को किस तरह स्थापित किया?
प्रमुख भारतीय व्यापारी काफ़ी धनी थे। साथ ही वे पढ़े-लिखे भी थे। वे चाहते थे कि वे भी अंग्रेज़ों के समान 'व्हाइट टाउन' जैसे साफ़-सुथरे इलाकों में ही रहें और उन्हें भी समाज में उचित सम्मान प्राप्त हो। इन उद्देश्य से उन्होंने निम्नलिखित कदम उठाए:
- उन्होंने औपनिवेशिक शहरों अर्थात् मुंबई, कलकत्ता और मद्रास में एजेंटों तथा बिचौलियों के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
- उन्होंने ब्लैक टाउन में बाजारों के आस-पास परंपरागत ढंग के दालानी मकान बनवाए। उन्होंने भविष्य में पैसा लगाने के लिए शहर के अंदर बड़ी-बड़ी ज़मीनें भी खरीद ली थीं।
- अपने अंग्रेज स्वामियों को प्रभावित करने के लिए वे त्योहारों के समय रंगीन दावतों का आयोजन करते थे।
- समाज में अपनी हैसियत साबित करने के लिए उन्होंने मंदिर भी बनवाए।
- मद्रास में कुछ दुभाषा व्यापारी ऐसे भारतीय थे जो स्थानीय भाषा और अंग्रेज़ी, दोनों ही बोलना जानते थे। वे भारतीय समाज तथा गोरों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे।
- संपत्ति इकठ्ठा करने के लिए वे सरकार में अपनी पहुँच का प्रयोग करते थे। ब्लैक टाउन में परोपकारी कार्यों और मंदिर को संरक्षण प्रदान करने के कारण समाज में उनकी स्थिति काफी मजबूत थी।