औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनगणना संबंधी आकंड़े किस हद तक उपयोगी होते हैं।
औपनिवेशिक संदर्भ में शहरीकरण के रुझानों को समझने के लिए जनसंख्या के आकंड़े बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं:
- ये आँकड़े हमें शहरीकरण की गति दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए इन आकंड़ों से हमें पता चलता हैं कि 1800 के बाद हमारे देश में शहरीकरण की रफ़्तार धीमी रहीं हैं। पूरी उन्नीसवीं सदी और बीसवीं सदी के पहले दो दशकों तक देश की कुल आबादी में शहरी आबादी का हिस्सा बहुत मामूली और स्थिर रहा।
- इनमें लोगों के व्यवसायों की जानकारी तथा उनके लिंग, आयु व जाती सम्बन्धी सूचनाएँ मिलती हैं। ये जानकारियाँ आर्थिक और सामाजिक स्थिति को समझने के लिए काफी उपयोगी हैं।
- जनगणना संबंधी आँकड़ों से श्वेत एवं अश्वेत शहरों, शहरों के निर्माण, विस्तार, उनमें रहने वाले लोगों के जीवन-स्तर, भयंकर बीमारियों के जनता पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों आदि के विषय में भी महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है।
- जनसंख्या के आकंड़े मृत्यु-दर तथा बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बताते हैं। ये आकँड़े स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव को भी दर्शाते हैं।