फिराक गोरखपुरी की गजल का केन्द्रीय भाव लिखिए।
फिराक गोरखपुरी की गजल में व्यक्तिगत प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है। फूलों की कलियाँ नौ रस छलकाने लगी हैं।। रात के अंधेरे में तारे आँखें झपका रहे हैं। कवि की प्रेमिका साथ नहीं है। प्रेम के कारण कवि को दीवानगी की हद तक जाना पड़ रहा है। कवि विरह से पीड़ित है। जो प्रेमी प्रेम में जितना स्वयं को खो देता है वह उतना ही प्रेम पाता है।