निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
घन, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!
फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलाधार,
हदय थाम लेता संसार,
सुन-सुनघोर वज्र-हुंकार।
1. बादलों को ‘विप्लव के बादल’ क्यों कहा गया है?
2. बादलों की युद्ध-नौका में क्या भरा है? उसका लाभ किन्हें और कैसे मिलेगा?
3. नवजीवन की आशा में कौन सिर उठाए हुए हैं? उन्हें क्रांति का लाभ किस प्रकार प्राप्त होगा?
4. संसार बादल के किस रूप से त्रस्त है?
1. बादलों को ‘विप्लव के बादल’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वे पृथ्वी पर विप्लव लाते हैं अर्थात् क्रांति लाते हैं। विप्लव क्रांति है। ये बादल क्रांति दूत बनकर संसार के कष्टों को मिटाएँगे।
2. बादलों की युद्ध नौका में लोगों की आशा- आकांक्षाएँ भरी हुई हैं। इसमें गर्जन-तर्जन भरा. है। इससे क्रांति आती है। इसका लाभ शोषित वर्ग को मिलेगा। क्रांति के आने से पूंजीपति वर्ग का सफाया हो जाएगा।
3. नवजीवन की आशा में पृथ्वी में छिपे अंकुर सिर उठाए हुए हैं अर्थात् दीन-दु:खी दलित व्यक्ति शोषण से मुक्ति पाने के लिए आशान्वित हैं। उन्हें क्रांति का लाभ इस रूप में मिलेगा कि वे अपने कष्टों से छुटकारा पा जाएँगे अर्थात् पूँजीपतियों के शोषण से मुक्त हो जाएँगे।
4. संसार बादल के निर्दयी रूप से त्रस्त है। यह रूप पूँजीपति बनकर उनका शोषण करता है। इस समय संसार शोषण और अभावों से त्रस्त है। वह इनसे मुक्ति चाहता है।