“चूस लिया है उसका सार” द्वारा कवि क्या व्यंजित करना चाहता है?
इस पंक्ति में कवि यह व्यंजित करना चाहता है कि पूँजीपति वर्ग ने शोषित वर्ग का बुरी तरह से शोषण किया है। उसका सारा तत्त्व इस शोषक वर्ग ने चूस लिया है। अब निर्धन वर्ग का जीवन प्राणहीन होकर रह गया है। इसका उत्तरदायित्व पूँजीपति वर्ग पर है। कवि ने इससे शोषक वर्ग की क्रूरता एवं दमनकारी प्रवृत्ति को व्यंजित करना चाहा है।