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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026391

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
दारिद दसानन दबाई दूनी दीनबंधु,
दुरित बहन देखि तुलसी हहा करी।

1. इन पक्तियों में किस अवस्था का चित्रण हुआ है?
2. अलंकार-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
3. भाषा-शैली बताइए।

 

Solution

1. इन काव्य-पंक्तियों में तत्कालीन आर्थिक दुरावस्था का यथार्थ चित्रण किया गया है। दरिद्रता तो रावण का रूप ले चुकी       है। इसने लोगों को बुरी तरह से प्रभावित-आतंकित कर रखा है। तुलसी इस दुरावस्था को देखकर हा-हाकार कर उठते       हैं।
2. दोनों काव्य-पक्तियों में ‘द’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार की छटा देखते बनती है।
    दारिद दसानन (दरिद्र रूपी रावण) में रूपक अलंकार का प्रयोग है।
3.  भाषा: ब्रज का प्रयोग है।
     छंद: कवित्त।
     रस: करुण।

 

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,

चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।

पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,

अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।

ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,

पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।

‘जतुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें,

आगि बड़वागितें बड़ी है अगि पेटकी।।

कवि तुलसी ने इस पद में किस समस्या को उठाया है?

इस पब में किन-किन लोगों का उल्लेख है? उन्हें क्या प्राप्त नहीं होता?

इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?

पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?

इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।