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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026371

मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता

जौ जनतेउँ बन बंधु बिछोहु। पिता बचन मनतेउँ नहिं ओहू।।

Solution

प्रभु राम अपने भ्राता लक्ष्मण के भ्रातृप्रेम एवं भक्ति का बखान करते हुए कहते हैं कि लक्ष्मण जैसा भाई मिलना दुर्लभ है क्योंकि उसने मेरे हित के लिए अपने माता-पिता तक का त्याग कर दिया और मेरे साथ वन में जाड़ा, धूप और तेज हवा को सहा है। यदि मुझे (राम को) यह पता होता कि यहाँ आकर मुझे भाई का वियोग सहना पड़ेगा तो मैं पिता का वचन मानने से ही मना कर देता।

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,

चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।

पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,

अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।

ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,

पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।

‘जतुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें,

आगि बड़वागितें बड़ी है अगि पेटकी।।

कवि तुलसी ने इस पद में किस समस्या को उठाया है?

इस पब में किन-किन लोगों का उल्लेख है? उन्हें क्या प्राप्त नहीं होता?

इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?

पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?

इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है।