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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026370

धूत कहौ…वालेछंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?

Solution

तुलसीदास ने विनय संबंधी अनेक छंदों की रचना की है और वह ऊपर से सरल एवं निरीह दिखलाई पड़ते हैं। पर जब हम ‘कवितावली’ का यह छंद ‘धूत क कहौ ..’ पड़ते हैं तो हमें पता चलता है कि वे एक स्वाभिमानी भक्त हदय हैं। वे किसी भी कीमत पर अपना स्वाभिमान कम नहीं होने देना चाहते। वे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं। उन्हें अपने ऊपर लोगों द्वारा किए गए कटाक्षों की कोई परवाह नहीं। उनका यह कहना कि उन्हें किसी के साथ कोई वैवाहिक संबंध (संतान संबंधी) स्थापित नहीं करना। हम इस कथन से पूरी तरह सहमत हैं।

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

तुलसीदास के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,

चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।

पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,

अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।

ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,

पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।

‘जतुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें,

आगि बड़वागितें बड़ी है अगि पेटकी।।

कवि तुलसी ने इस पद में किस समस्या को उठाया है?

इस पब में किन-किन लोगों का उल्लेख है? उन्हें क्या प्राप्त नहीं होता?

इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?

पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?